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Monday 7 January 2019

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-25, आयत, ②ⓞ⑧*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

ऐ ईमान वालो इस्लाम में पूरे दाख़िल हो   (23) और शैतान के क़दमों पर न चलो (24) बेशक वह तुम्हारा खुला दुश्मन है.


*तफ़सीर*

(23) किताब वालों में से अब्दुल्लाह बिन सलाम और उनके असहाब यानी साथी हुज़ूर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर ईमान लाने के बाद शरीअते मूसवी के कुछ अहकाम पर क़ायम रहे, सनीचर का आदर करते, उस दिन शिकार से अलग रहना अनिवार्य जानते, और ऊंट के दूध और गोश्त से परहेज़ करते, और यह ख़याल करते कि ये चीज़ें इस्लाम में तो वैध यानी जायज़ हैं, इनका करना ज़रूरी नहीं, और तौरात में इससे परहेज़ अनिवार्य बताया गया है, तो उनके छोड़ने में इस्लाम की मुख़ालिफ़त भी नहीं है. और हज़रत मूसा की शरीअत पर अमल भी होता है. उसपर यह आयत उतरी और इरशाद फ़रमाया गया कि इस्लाम के आदेश का पूरा पालन करो यानी तौरात के आदेश स्थगित हो गए, अब उनकी पाबन्दी न करो. (ख़ाजिन)

(24) उसके उकसाने और बहकाने में न आओ.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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