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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
काहे के इन्तिज़ार में हैं (26) मगर यही कि अल्लाह का अज़ाब आए, छाए हुए बादलों में और फ़रिश्तें उतरें (27) और काम हो चुके और सब कामों का पलटना अल्लाह की तरफ़ है.
*तफ़सीर*
(26) इस्लामी मिल्लत छोड़ने और शैतान की फ़रमाँबरदारी करने वाले.
(27) जो अज़ाब देने के काम पर लगे हुए है.
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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