بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
काफ़िरों की निगाह में दुनिया की ज़िन्दगी सजाई गई (3) और मुसलमानों से हंसते हैं (4) और डर वाले उनसे ऊपर होंगे क़यामत के दिन (5) और ख़ुदा जिसे चाहे बेगिनती दे.
*तफ़सीर*
(3) वो इसी के क़द्र करते हैं और इसी पर मरते हैं.
(4) और दुनिया की माया से उनकी अरूचि देखकर उनको तुच्छ समझते हैं, जैसा कि हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद और अम्मार बिन यास्सिर और सुहैब और बिलाल रदियल्लाहे अन्हुम को देखकर काफ़िर मज़ाक़ उड़ाया करते थे, और दुनिया की दौलत के घमण्ड में अपने आपको ऊंचा समझते थे.
(5) यानी ईमान वाले क़यामत के दिन जन्नत के ऊंचे दर्जों में होंगे और घमण्डी काफ़िर जहन्नम में ज़लील और ख़्वार.
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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