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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
जिस की तंगदस्ती उरूज पर होगी यकीनन वोह बेहद दुखी और ग़मगीन होगा और दुख्यारों की दुआ कबूल होती है जैसा कि दावते इस्लामी के इशाअती इदारे मक - त - बतुल मदीना की मत्बूआ किताबे मुस्तताब "फ़ज़ाइले दुआ" में आ'ला हज़रत के वालिदे मेहरबान रईसुल मु-तकल्लिमीन हज़रते अल्लामा मौलाना नकी अली खान : رحمتُ اﷲِ تعَالٰی علَيه ने मुस्तजाबुद्दावात शख्सिय्यात ( यानी जिन लोगों की दुआएं कुबूल होती हैं उन) में सब से पहले नम्बर पर लिखा है ।
"अव्वल: मुज्तर ( यानी बेचैन व परेशान हाल )"। इस की शर्ह में सरकारे आला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा खान رحمتُ اﷲِ تعَالٰی علَيه फ़रमाते हैं। इस ( या'नी दुख्यारे और लाचार की दुआ की कबूलिय्यत) की तरफ़ तो खुद कुरआने अज़ीम में इशारा मौजूद : तर - ज - मए कन्जुल ईमान : या वोह जो लाचार की सुनता है , जब उसे पुकारे और दूर कर देता है बुराई । (फ़ज़ाइले दुआ , स . 218)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! खुदा की कसम ! दुन्या की रंगीनियों में गुम मालदार व साहिबे इक्तिदार के मुकाबले में सुन्नतों का पाबन्द गरीब व नादार खुश नसीब व बख्त बेदार है और वोह आखिरत में कामयाब है जो गुरबत, अमराज व आफ़ात में मुब्तला होने के बा वुजूद अल्लाहु गफ्फार - और उस के रसूले जी वकार ﷺ का इताअत गुजार है।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है पेज 12*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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