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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
मज्कूरा वाकिए से पता चला कि फक्रो गुरबत बाइसे सआदत है न कि बाइसे आफत। गरीबों मिस्कीनों के आखिरत में मजे होंगे कि माली इबादात जैसे ज़कात, फित्रा, हज वगैरा के मुतअल्लिक पूछगछ से मामून ( या ' नी अम्न में ) होंगे क्यूं कि येह अहकाम मालदार व साहिबे इस्तिताअत मुसलमानों के लिये हैं ।
बरोजे महशर जब कि मालदार बारगाहे रब्बे जुल जलाल عزَّ و جلَّ में अपने माल के मुतअल्लिक हिसाब किताब देने में मश्गूल होंगे , इधर नादार मुसल्मान अल्लाह عزَّ و جلَّ की रहमत व मशिय्यत से दाखिले जन्नत हो रहे होंगे और यूं जन्नत में फ़कीरों, गरीबों का दाखिला अमीरों से पहले होगा जैसा कि हज़रते सय्यदुना अबू हुरैरा رضی اﷲ تعالٰی عنه से रिवायत है कि नबिय्ये करीम, रऊफुर्रहीम ﷺ का फ़रमाने दिल नशीन है: मुसल्मान फु - करा अग्निया से आधा दिन पहले जन्नत में दाखिल हो जाएंगे और वोह ( आधा दिन ) 500 साल ( के बराबर ) होगा।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है पेज 6,7*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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