بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
दुआ मांगना बहुत बड़ी सआदत है, क़ुरआन व अहादीस में जगह जगह दुआ मांगने की तरगिब् दिलाई गई है।
एक हदिष में है : क्या में तुम्हे वो चीज़ न बताऊ जो तुम्हे तुम्हारे दुश्मन से नजात दे और तुम्हारा रिज़्क़ वसीअ कर दे, रात दिन अल्लाह से दुआ मांगते रहो कि दुआ मोमिन का हथियार है।
*_दुआ दाफ़ेए बला है_*
हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : बला उतरती है फिर दुआ उस से जा मिलती है। फिर दोनों क़यामत तक झगड़ा करते रहते है।
*✍🏽अलमुस्तदरक, 2/162*
*_इबादत में दुआ का मक़ाम_*
हज़रते अबू ज़र गिफारिرضي الله تعالي عنه इरशाद फरमाते है : इबादत में दुआ की वही हेसिय्यत है जो खाने में नमक की।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 182*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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