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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
*सुवाल* - मुर्तद कौन होता है ?
*जवाब* - मुर्तद वोह शख्स है कि इस्लाम के बाद किसी ऐसे अम्र का इन्कार करे जो जरूरियाते दीन से हो यानी ज़बान से कलिमए कुफ़ बके जिस में तावीले सहीह की गुन्जाइश न हो। यूंहीं बाज़ अफ़आल भी ऐसे हैं जिन से काफ़िर हो जाता है मसलन बुत को सजदा करना। मुस्हफ़ शरीफ़ को नजासत की जगह फेंक देना। याद रहे कि जो बतौरे तमस्खुर और ठठे के (यानी मज़ाक मस्ख़री में) कुफ्र करेगा वोह भी मुर्तद है अगचे कहता है कि ऐसा एतिकाद नहीं रखता।
*सुवाल* - मुर्तद होने की क्या शराइत हैं ?
*जवाब* - मुर्तद होने की चन्द शर्ते हैं।
(1) अक्ल। ना समझ बच्चा और पागल से ऐसी बात निकली तो हुक्मे कुफ्र नहीं।
(2) होश। अगर नशे में बका तो काफ़िर न हुवा।
(3) इख्तियार। मजबूरी और इकराह की सूरत में हुक्मे कुफ़ नही। मजबूरी के येह माना हैं कि जान जाने या उज़व कटने या ज़र्बे शदीद का सहीह अन्देशा हो इस सूरत में सिर्फ ज़बान से इस कलिमे के कहने की इजाज़त है बशर्ते कि दिल में वोही इत्मीनाने ईमानी हो।
*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 56
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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