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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
और उनसे उनके नबो ने फरमाया उसकी बादशाही की निशानी यह है कि आए तुम्हारे पास ताबूत (15) जिसमे तुम्हारे रब की तरफ से दिलो का चैन है और कुछ बची हुई चीज़े है मोअज्ज़ज़ मूसा और मोअज्ज़ज़ हारून के तरका की, उठाते लायेंगे उसे फरिश्ते बेशक उसमें बड़ी निशानी है तुम्हारे लिए अगर ईमान रखते हो.
*तफ़सीर*
(15) यह ताबूत शमशाद की लकड़ी का एक सोने से जड़ाऊ सन्दूक़ था जिसकी लम्बाई तीन हाथ की और चौड़ाई दो हाथ की थी. इसको अल्लाह तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पर उतारा था. इसमें सारे नबियों की तस्वीरें थीं उनके रहने की जगहें और मकानों की तस्वीरे थीं और आख़िर में नबियों के सरदार मुहम्मदे मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की और हुज़ूर के मुक़द्दस मकान की तस्वीर एक सुर्ख़ याक़ूत में थी कि हुज़ूर नमाज़ की हालत में खड़े हैं और आपके चारों तरफ़ सहाबए किराम. हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने इन सारी तस्वीरों को देखा. यह सन्दूक़ विरासत में चलता हुआ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम तक पहुंचा. आप इसमें तौरात भी रखते थे और अपना ख़ास सामान भी. चुनान्वे इस ताबूत में तौरात की तख़्तियों के टुकडे थी थे, और हज़रत मूसा की लाठी और आपके कपड़े, जूते और हज़रत हारून अलैहिस्सलाम की पगड़ी और उनकी लाठी और थोड़ा सा मन्न, जो बनी इस्राइल पर उतरता था. हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम जंग के अवसरों पर इस सन्दूक़ को आगे रखते थे, इससे बनी इस्राइल के दिलों को तस्कीन रहती थीं. आपके बाद यह ताबूत बनी इस्राइल में लगातार विरासत में चला आया. जब उन्हें कोई मुश्किल पेश आती, वो इस ताबूत को सामने रखकर दुआएं करते और कामयाब होते. दुश्मनों के मुक़ाबले में इसकी बरकत से फ़तह पाते. जब बनी इस्राइल की हालत ख़राब हुई और उनके कुकर्म बहुत बढ़ गए तो अल्लाह तआला ने उन पर अमालिक़ा को मुसल्लत किया तो वो उनसे ताबूत छीन ले गए और इसको अपवित्र और गन्दे स्थान पर रखा और इसकी बेहुरमती यानी निरादर किया और इन गुस्ताख़ियों की वजह से वो तरह तरह की मुसीबतों में गिरफ़तार हुए. उनकी पाँच बस्तियाँ तबाह हो गईं और उन्हें यक़ीन हो गया कि ताबूत के निरादर से उन पर बर्बादी और मौत आई है. तो उन्होंने एक बेल गाड़ी पर ताबूत रखकर बैलों को हाँक दिया और फ़रिश्ते उसको बनी इस्राइल के सामने तालूत के पास लाए और इस ताबूत का आना बनी इस्राइल के लिये तालूत की बादशाही की निशानी मुक़र्रर हुआ. बनी इस्राइल यह देखकर उसकी बादशाही पर राज़ी हो गए और फ़ौरन जिहाद के लिये तैयार हो गए क्योंकि ताबूत पाकर उन्हें अपनी फ़तह का यक़ीन हो गया. तालूत ने बनी इस्राइल में से सत्तर हज़ार जवान चुने जिनमें हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम भी थे. (जलालैन व जुमल व ख़ाज़िन व मदारिक वग़ैरह) इससे मालूम हुआ कि बुज़ुर्गों की चीज़ों का आदर और एहतिराम लाज़िम है. उनकी बरकत से दुआएं क़ूबूल होती हैं और हाजतें पूरी होती हैं और तबर्रूकात का निरादर गुमराहों का तरीक़ा और तबाही का कारण है. ताबूत में नबियों की जो तस्वीरें थीं वो किसी आदमी की बनाई हुई न थीं, अल्लाह की तरफ़ से आई थीं.
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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