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Monday 18 February 2019

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-33, आयत, ②⑤③*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

ये रसूल है की हमने इन में एक को दुसरे पर अफ़जल किया (10) इन में किसी से अल्लाह ने कलाम फरमाया (11) और कोई वह है जिसे सब पर दर्जों बलन्द किया (12) और हमने मरयम के बेटे ईसा को खुली निशानियाँ दी (13) और पाकीज़ा रूह से उसकी मदद की (14) और अल्लाह चाहता तो उनके बाद वाले आपस में न लड़ते बाद इसके की उनके पास खुली निशानियाँ आचुकी (15) लेकिन वो मख्तलिफ़ हो गए उनमें कोई ईमान पर रहा और कोई काफ़िर होगया (16) और अल्लाह चाहता तो वो न लड़ते मगर अल्लाह जो चाहे करे (17)


*तफ़सीर*

(10) इससे मालूम हुआ कि नबियों के दर्जे अलग अलग हैं. कुछ हज़रात से कुछ अफ़ज़ल हैं. अगरचे नबुव्वत में कोई फ़र्क़ नहीं, नबुव्वत की ख़ूबी में सब शरीक हैं, मगर अपनी अपनी विशेषताओं, गुणों और कमाल में अलग अलग दर्जे हैं. यही आयत का मज़मून है और इसी पर सारी उम्मत की सहमति है. (ख़ाज़िन व जुमल)

(11) यानी बिला वास्ता या बिना माध्यम के, जैसे कि हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को तूर पहाड़ पर संबोधित किया और नबियों के सरदार सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को मेराज में. (जुमल).

(12) वह हुज़ूर पुरनूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम हैं कि आपको कई दर्जों के साथ सारे नबियों पर अफ़ज़ल किया. इस पर सारी उम्मत की सहमति है. और कई हदीसों से साबित है. आयत में हुज़ूर के इस बलन्द दर्जे का बयान फ़रमाया गया और नामे मुबारक की तसरीह यानी विवरण न किया गया. इससे भी हुज़ूर अलैहिस्सलातो वस्सलाम की शान की बड़ाई मक़ूसद है, कि हुज़ूर की मुबारक ज़ात की यह शान है कि जब सारे नबियों पर फ़ज़ीलत या बुजुर्गी का बयान किया जाए तो आपकी पाक ज़ात के सिवा किसी और का ख़याल ही न आए और कोई शक न पैदा हो सके. हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की वो विशेषताएं और गुण जिनमें आप सारे नबियों से फ़ायक़ और अफ़ज़ल हैं और आपका कोई शरीक नहीं, बैशुमार हैं कि क़ुरआने पाक में यह इरशाद हुआ “दर्जों बलन्द किया” इन दर्जों की कोई गिनती क़ुरआन शरीफ़ में ज़िक्र नहीं फरमाई, तो अब कौन हद लगा सकता है. इन बेशुमार विशेषताओं में से कुछ का इजमाली और संक्षिप्त बयान यह है कि आपकी रिसालत आम है, तमाम सृष्टि आपकी उम्मत है. अल्लाह तआला ने फ़रमाया “वमा अरसलनाका इल्ला काफ्फ़तल लिन्नासे बशीरौं व नज़ीरा” (यानी ऐ मेहबूब हमने तुमको न भेजा मगर ऐसी रिसालत से जो तमाम आदमियों को घेरने वाली है, खुशख़बरी देता और डर सुनाता) (34 :28). दूसरी आयत में फ़रमाया : “लियकूना लिलआलमीना नज़ीरा” (यानी जो सारे जहान को डर सुनाने वाला हो) (25:1). मुस्लिम शरीफ़ की हदीस में इरशाद हुआ “उरसिलतो इलल ख़लाइक़े काफ्फ़तन” (और आप पर नबुव्वत ख़त्म की गई). क़ुरआने पाक में आपको ख़ातिमुन्नबीय्यीन फ़रमाया हदीस शरीफ़ में इरशाद हुआ “ख़ुतिमा बियन नबिय्यूना”. आयतों और मोजिज़ात में आपको तमाम नबियों पर अफ़ज़ल फ़रमाया गया. आपकी उम्मत को तमाम उम्मतों पर अफ़ज़ल किया गया. शफ़ाअते कुबरा आपको अता फ़रमाई गई. मेराज में ख़ास क़ुर्ब आपको मिला. इल्मी और अमली कमालात में आपको सबसे ऊंचा किया और इसके अलावा बे इन्तिहा विशेषताएं आपको अता हुई. (मदारिक, जुमल, ख़ाज़िन, बैज़ावी वग़ैरह).

(13) जैसे मुर्दे को ज़िन्दा करना, बीमारों को तन्दुरूस्त करना, मिट्टी से चिड़ियाँ बनाना, ग़ैब की ख़बरें देना वग़ैरह.

(14) यानी जिब्रील अलैहिस्सलाम से जो हमेशा आपके साथ रहते थे.

(15) यानी नबियों के चमत्कार.

(16) यानी पिछले नबियों की उम्मतें भी ईमान और कुफ़्र में विभिन्न रहीं, यह न हुआ कि तमाम उम्मत मुतीअ हो जाती.

(17) उसके मुल्क में उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता और यही ख़ुदा की शान है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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