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Tuesday 5 February 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #383

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*क़ौम का अहकामे खुदावंदी मानने से इंकार*

     कौम ने मूसा अलैहिस्सलाम से खुद ही मुतालबा किया कि हमारे पास अल्लाह ताला की कोई किताब आनी चाहिये जिसके अहकाम के मुताबिक हम अपनी ज़िन्दगी बसर करें और इन अहकाम की रौशनी में फलाह और भलाई की राह पायें। मूसा अलैहिस्सलाम जब उनके पास अल्लाह तआला की किताब तोरात लाए तो उसमें उनकी तबई सरकशी और तुगियान के लिहाज से कुछ भारी अहकाम भी थे, मगर ऐसे नहीं जो नाक़ाबिले अमल हों बल्कि उनकी हालत और हिकमते इलाहिया के ऐन मुताबिक थे बनी इस्राईल ने सिर्फ बगावत और सरकशी की वजह से उन्हें कबूल करने से इंकार कर दिया। 

     अल्लाह तआला के हुक्म से जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने पहाड़ का एक हिस्सा उन पर उठा लिय और इरशाद हुआ: हमने तुन्हें जो कुछ दिया उसे मजबूती के साथ पकड़ लो। उस पर उनसे पुख्ता अहद लिया गया लेकिन उन्होंने अहद तोड़ दिया। अल्लाह तआला ने उनके बातिनी फ़साद को खूब अच्छी तरह ज़ाहिर करने और उन्हें रुसवा करने के लिए कुरआन मजीद में अल्फाज़ र-फ़अना के साथ उन पर पहाड़ उठा लेने का जिक्र बार बार फरमाय।


*अमालक़ा से जिहाद का हुक्म और बनी इस्राइल की रुगरदानी* अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 318

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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