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Thursday 14 February 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #387

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*बनी इस्राईल की सरकेशी के बावजूद उन पर इनामात*

     बनी इस्राईल की इंतेहाई सरकशी के बावजूद अल्लाह तआला ने उन पर बेशुमार इनामात फरमाये इस आयत में जिन नेमतों का जिक्र है उनका तल्लुक मैंदाने तीह है जहा' वह चालीस बरस तक परेशान हाली और सरगदानी में रहे इस वादी में न कोई साया है न कोई दरख्त न ही कोई इमारत न पीने के लिए पानी न खाने के लिए कोई चीज न रौशनी थी और न जरूरयात जिन्दग के दीगर लुवाजमात। 

     इस बे सरो सामानी और गरीबुल वतन के आलम में मूसा अलैहिस्सला की दुआ से उनके सब सामान मुहय्या हो गये अल्लाह तआला ने धूप से बचाओ और साया के हुसूल के लिए बादल बतौर सायबान नाज़िल फ़रमा दिया खाने के लिए मन, सलवा भेज दिया। 

     मन् सवला के बारे में मुख्तलिफ अकाल हैं सही यही है कि मन से मुराद तुरन्जबीन हैं जो एक नफीस शीरीं जाइकादार मद्दा था जो शबनम की तरह सुबह के वक्त आसमान से उतरता और कसीर मिकदार में छोटे छोटे दरख्तों पर जमा हो जाता था सलवा के बारे में अकवाल हैं सही यही है कि वह बटेर था बाज ने कहा कि वह भुन हुआ उतरता था और बाज़ का कौल है कि बकसरत ज़िन्दा परिन्दे उनके पास जमा हो जाते थे वह उन्हें ज़िन्दा पकड़ लेते और जिबह करते। 

     अलगर्ज मन और सल्वा उनकी शीरीं और नमकीन गिजाएं थीं जिन्हें शिकम सैर होकर वह खाते थे। तारीकी दूर करने के लिए उमूदी शक्ल में एक रौशनी जाहिर हो जाती थी। लिबास के बारे में अल्लह तआला ने मुसा अलैहिस्सलाम की एजाज़ी शान इस पर जाहिर फरमई कि न इन लोगों के कपड़े मैले होते और न ही फटते और उनके बच्चों के जिस्म के साथ बच्चों का लिबान भी बढ़ता रहता था। 


*पथ्थर से पानी निकलना* अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 320

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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