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Thursday 14 February 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #389

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*मैदान तीह से नजात और उन्की सरकशी* #01

     इस शहर को बनी इस्राइल में मूसा अलैहिस्सलाम की ज़िन्दगी के अख़ीर ज़माना में फ़तह किया और वहां बड़ी बदकारिया की जिनके नतीजे में खुदा ने उन पर वबा भेजी और चौबीस इज़ार आदमी हलाके कर दिये। 

     एक चीज कुरआन का मुताला करते वक्त हमेशा नज़र में रहनी चाहिए वह यह कि कुरआन जिन वाक़ियात का जिक्र करता है इससे मक़सद सिर्फ इबारत व मोएजत होती है इससे उस वाकिया की तारीखी हैसियत का ब्यान मतलूब नहीं होता इसलिए कुरआन उन वाकीयात में सिर्फ उन पहलुओं को बयान करता है जिनमें दरसे इबरत हो उमूमन गैर जरूरी तफ़सीलात को नज़र अंदाज़ कर दिया जाता है जो लोग कुरआन हकीम की इस खुसुसियत को मलहूज़ नहीं रखते वह कससे कुरआनी में तारीख़ी कुतुब की तरह तफ़सीलात का तसलसुल और ज़मान व मकान का तअय्यून नहीं पाते तो वह तरह तरह के शकूक व शुबहात में मुब्तला हो जाते हैं। 


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 321

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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