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Thursday 14 February 2019

तज़किरतुल अम्बिया* #391

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*मन व सलवा से एराज़ और ज़िल्लत का तसल्लुत*

 बनी इस्राइल अर्सा दराज़ तक बिला नागा मन व सलवा खाते रहने की वजह से उकता कर मूसा अलैहिस्सलाम से कहने लगे कि हम अब एक ही किस्म के खाने पर सब्र न कर सकेंगे। मन व सलवा की दो मुख्तलिफ किस्म के खानों को एक खाना इसलिए कहा गया कि दोनों किस्म के खाने वह एक साथ खाते थे या इसलिए कि हर रोज़ बतौर गिज़ा उन्हें यही दो चीजें मिलती थी यह नफ़ीस खाना बाकी खानों से बेहतर था लेकिन बनी इस्राईल के इसरार पर इरशाद हुआ तुम मिस्र में उतर जाओ जो कुछ तुमने मांगा वह तुमहें वहां मिलेगा इन मिस्र के बारे में इख़्तलाफ हैं कि यह फ़िरऔन का मिस्र था या फोई और शहर। राइज है कि इससे गैर मुअय्यन शहर मुराद है बज़ाहिर मालूम होता है कि वादी तह के करीब कोई शहर था जिसमें आरजी तौर पर जाने का हुक्म उनकी ख्वाहिश के मुताबिक दिया गया था बढ़ती हुई नफ़सानी ख्वाहिशात की बिना पर ताअत और बंदगी की हदूद से बार बार यहूद का तजावुज़ और तुगियानी उनके हक में दाईमी जिल्लत व मसकनत (मिस्कीनी) पर मनतज हुआ।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 322

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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