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Monday 18 February 2019

अम्बियाए किराम से मुतअल्लिक़ कुफ़्रिय्या कलिमात*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - अम्बियाए किराम عليه السلام की तरफ बे हयाई की निस्बत करने का क्या हुक्म है ?

     *जवाब* - अम्बिया عليه السلام की तौहीन करना, उन की जनाब में गुस्ताखी करना या उन को फ़वाहिश व बे हया की तरफ़ मन्सूब करना कुफ़ है, मसलन معاذ الله यूसुफ़ عليه السلام की ज़िना की तरफ़ निस्बत करना। 


     *सुवाल* - नबिय्ये अकरम ﷺ को खातमुन्नबिय्यीन न जानने वाले नीज़ आप ﷺ से मन्सूब अश्या की तौहीन करने वाले के बारे में क्या हुक्म है ? 

     *जवाब* - जो शख्स हुजूरे अक्दस ﷺ को तमाम अम्बिया में आखिरी नबी न जाने या हुजूर ﷺ की किसी चीज़ की तौहीन करे या ऐब लगाए, आप के मूए मुबारक को तहकीर से याद करे, आप के लिबास मुबारक को गन्दा और मैला बताए, हुजुर ﷺ के नाखुन बड़े बड़े कहे येह सब कुफ्र हैं, बल्कि अगर किसी के इस कहने पर कि । हुजूर ﷺ को कद्दु पसन्द था कोई यह कहे मुझे पसन्द नहीं तो बाज़ उलमा के नज़दीक काफिर हैं और हकीकत येह कि अगर इस हैसिय्यत से उसे ना पसन्द हैं कि हुजूर ﷺ को पसन्द था तो काफ़िर है। यूहीं किसी ने ये कहा कि हुजूरे अक्दस ﷺ खाना तनावुल फ़रमाने के बाद तीन बार अंगुश्तहाए मुबारका चाट लिया करते थे, उस पर किसी ने कहा : ये अदब के खिलाफ हैं या किसी सुन्नत की तहकिर करे, मसलन दाढ़ी बढ़ाना, मूंछे कम करना, इमामा बांधना या शिम्ला लटकाना, इन की इहानत कुफ्र है जब कि सुन्नत की तौहीन मक्सूद हो। 


     *सुवाल* - अपने आप को पैगम्बर कहने वाले का क्या हुक्म है ? 

     *जवाब* - अब जो अपने को कहे मैं पैगम्बर हूं और उस का मतलब येह बताए कि मैं पैगाम पहुंचाता हूं वह काफ़िर है यानी येह तावील मसमूअ नहीं कि उर्फ में येह लफ्ज़ रसूल व नबी के माना में है। 

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 68

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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