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Monday 13 June 2016

तफ़सीरे अशरफी



हिस्सा~10
*​​सूरए बक़रह, पारह-01​*
*بسم الله الرحمن الرحيم*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*आयत ⑥_तर्जुमह*
बेशक जिन्होंने जनम का कुफ़्र कमाया, यकसाँ है उन पर, क्या डराया तुमने उन्हें ? या न डराया उन्हें, सो माननेवाले ही नही।

*तफ़सीर*
बेशक मदीना के यहूदियो में से कअब इब्ने अशरफ, यहया इब्ने अख्तब व जदी इब्ने अख्तब वगैरा और मक्का के बुतपरस्तो में से उत्बा व शयबह व वलीद वगैरा, गरज़ जिन्होंने भी जनम का कुफ़्र कमाया के काफ़िर ही जिये और काफ़िर ही मरे, यकसाँ है उन और कोई हालत हो क्या डराया तुमने उन्हें या न डराया उन्हें ख्वाह अल्लाह का डर उन्हें सुनाओ, ख्वाह न सुनाओ, तुम्हे तो तबलीग का षवाब मिला, लेकिन वो नफा पानेसे महरूम ही रहे की वो मानने वाले ही नहीं, माननेकी लायकात वो खो चुके है और सच्चाई क़ुबूल करने की सलाहियत बर्बाद कर चुके है।
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