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Thursday 28 July 2016

अब्लाक़ घोड़े सुवार

*क़ुरबानी के मदन फूल*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     क़ुरबानी के वक़्त में क़ुरबानी करना ही लाज़िम है कोई दूसरी चीज़ इसके क़ाइम मक़ाम नही हो सकती, मसलन बजाए क़ुरबानी के बक़रा या उस की क़ीमत सदक़ा कर दी जाए ये नाकाफी है।
*✍🏽आलमगिरी 5/293*
*✍🏽बहारे शरीअत 3/335*

*_क़ुरबानी के जानवर की उम्र_*
     ऊंट 5 साल का, गाय दो साल की, बकरा (इसमें बकरी, दुम्बा और भेड़ नर व मादा दोनों शामिल है) एक साल का। इससे कम उम्र हो तो क़ुरबानी जाइज़ नही, ज़्यादा हो तो जाइज़ बल्कि अफज़ल है।
     दुम्बा या भेड़ का 6 महीने का बच्चा अगर इतना बड़ा हो की दूर से देखने में साल भर का मालुम हो तो उसकी क़ुरबानी जाइज़ है।
*✍🏽दुर्रेमुखतार 9/533*
याद रखिये ! मुतलकन 6 माह के दुम्बे की क़ुरबानी जाइज़ नही, इस का इतना तगड़ा और क़द आवर होना ज़रूरी है कि दूर से देखने में साल भर का लगे। अगर 6 माह बल्कि साल में एक दिन भी कम उम्र का दुम्बे या भेड़ का बच्चा दूर से देखने में साल भर का नही लगता तो उस की क़ुरबानी नही होगी।
     क़ुरबानी का जानवर बे ऐब होना ज़रूरी है अगर थोडा सा ऐब हो (मसलन कान में चिर या सुराख हो) तो क़ुरबानी मकरूह होगी और ज़्यादा ऐब हो तो क़ुरबानी नही होगी।
*✍🏽बहारे शरीअत 3/340*
*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार 10*
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