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Sunday 31 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-53
*सूरए बक़रह, पारह 01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आयत ⑤① , तर्जुमह*
और जब वादा किया हमने मुसाको 40 रात का, फिर बूत बना लिया तुमने गौसाले को उनके बाद। और तुम अंधेर वाले हो।

*तफ़सीर*
     और ऐ यहूदियो ! उस वाक़या को भी सोचो और याद करो जब के वादा किया था हमने मुसाको के 40 रात का चिल्ला करके कोहे तुर पर आवो क्र हमारा फरमान ले जाओ।
     फिर क़बिल ए सामरा का सुनार मेख़ा नामने सबके ज़वेरात को, जो किब्तियो से मिले थे, केह केह कर इकठ्ठा किया के ये माले गनीमत है और शरीअते मूसा में माले गनीमत इस्तेमाल हराम है। और उस गौसाला परस्त कौम के आदमीने ज़वेरात को पिगला कर गाय का बुत बनाया।
     उसने एक मर्तबा ये भी देखा के हज़रते जिब्राईल घोड़े पर सवार है। और घोड़े की खुर जहां पड़ती है, ज़मीन का ज़र्रा ज़र्रा ज़िन्दगी पा जाता है। वो खाक उसके पास थी, जिसको गाय के बूत में डाल दी। तो वो आवाज़ देने लगा और उसको उसने खुदाए मूसा क़रार दिया।
     हज़रते हारून और उनके बारा हज़ार साथियो के सिवा बूत बना लिया तुम सबने उस गाय को। हज़रते मूसा की मौजूदगी में नही, बल्कि उनके तुर पर जाने के तीसरे या चौथे दसक के बद। और तुम खुद अपने हि हकमे बड़े ही अंधेर डाल देने वाले हो।
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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