*एअतेराफे तकसीर और इस्तिगफार*
हिस्सा-1
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
हज़रत मोहियुद्दीन जीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमाया : नफ्सकी ख्वाहिशों से आज़ाद हो जाओ और इसकी इत्तेबा (पैरवी करनेसे) किनाराकश हो जाओ। आपनी हर चीज अल्लाहके सुपुर्द कर दो और अपने दिल पर इस तरह पेहरा दो के इसमें सिर्फ वही शै दाखिल हो जिसकी इजाजत मौलाकरीम दे। शयतानी वसवसोंको दिलमें जगा न दो। ख्वाहिशाते नफ्सानी को दाखले की इजाज़त नहीं होनी चाहीये। हर हालमें उनकी मुखालेफत हो क्यों के किसी ख्वाहीशका दिलमें दाखिल होना दर असल इसका इत्तेबा है।
इरादाए हक़ के सिवा किसी और इरादेकी ख्वाहीश दुरूस्त नहीं। इरादाए हक़ के अलावा किसी और इरदेको दिलमें जगा देना तबाही और हिलाकत, निगाहे रेहमतसे गिरने और हिजाब पर मुन्तज होता है।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह
*✍🏽फुतूहल ग़ैब, 13,14*
_____________
📮Posted by:-
DEEN-E-NABI ﷺ
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9033 503 799
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
हिस्सा-1
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
हज़रत मोहियुद्दीन जीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमाया : नफ्सकी ख्वाहिशों से आज़ाद हो जाओ और इसकी इत्तेबा (पैरवी करनेसे) किनाराकश हो जाओ। आपनी हर चीज अल्लाहके सुपुर्द कर दो और अपने दिल पर इस तरह पेहरा दो के इसमें सिर्फ वही शै दाखिल हो जिसकी इजाजत मौलाकरीम दे। शयतानी वसवसोंको दिलमें जगा न दो। ख्वाहिशाते नफ्सानी को दाखले की इजाज़त नहीं होनी चाहीये। हर हालमें उनकी मुखालेफत हो क्यों के किसी ख्वाहीशका दिलमें दाखिल होना दर असल इसका इत्तेबा है।
इरादाए हक़ के सिवा किसी और इरादेकी ख्वाहीश दुरूस्त नहीं। इरादाए हक़ के अलावा किसी और इरदेको दिलमें जगा देना तबाही और हिलाकत, निगाहे रेहमतसे गिरने और हिजाब पर मुन्तज होता है।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह
*✍🏽फुतूहल ग़ैब, 13,14*
_____________
📮Posted by:-
DEEN-E-NABI ﷺ
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9033 503 799
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
No comments:
Post a Comment