Pages

Tuesday 26 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-48
*सूरए बक़रह, पारह 01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आयत ④⑥, तर्जुमह*
जो समझे के बेशक वो मिलने वाले है अपने परवरदिगार से, और बेशक वो उसीकी तरफ लोटनेवाले है।

*तफ़सीर*
     ये खुशूअ वाले वो है, जो खूब अच्छी तरहसे समझे बुझे, यकीन  करे के बेशक उन्हें मरना है, फिर हशर के दिन उठना है, और उस दिन वो मिलनेवाले है लज्ज़ते दीदार पाने के लिये अपने परवरदिगार के हुज़ूर।
     और उन्हें इस दुन्याकि तंगी में हमेशा गिरफ्तार रहना नही है। बल्कि खुदा के फ़ज़ल से बेशक वो बिल आखिर उसी अल्लाह की तरफ लौटनेवाले है।
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 955 802 9197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment