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Monday 18 July 2016

मदनी पंजसुरह

*सूरए यासीन शरीफ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه फरमाते है : जो शख्स ब वक़्ते सुब्ह सूरए यासीन की तिलावत करे उस दिन की आसानी उसे शाम तक अता की गई, और जिस ने रात की इब्तिदा में इस की तिलावत की उसे सुब्ह तक उस रात की आसानी दी गई।

हज़रते माकिल बिन यसारرضي الله تعالي عنه से रिवायत ही कि बेशक हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : सूरए यासीन क़ुरआन का दिल है, जो शख्स इस सूरए मुबारक की अल्लाह और आख़िरत के लिये तिलावत करेगा, उसके पहले के गुनाह बख्श दिये जाएंगे, तो तुम इसकी तिलावत अपने मरने वालो के पास करो।

हज़रते अबू दरदाرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिस मरने वाले के पास सूरए यासीन तिलावत की जाती है, अल्लाह उस पर (उसकी रूह क़ब्ज़ करने में) नरमी फ़रमाता है।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 38*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 23*
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