हिस्सा-43
*सूरए बक़रह, पारह-01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*आयत ④①_तफ़सीर*
हिस्सा-02
और ये तुम्हारा रवैय्या कितना बुरा है के चार चार सेर जव और चार चार चादरों के लिये तौरेत में फेरफार करो। नाअते रसूले पाक निकाल दो और मेरे रसूल को दज्जाल बता कर तौरेत में जो ज़िक्र दज्जाल है उसके अनुरूप ठहराओ।
अमीरो के खातिर कानून शरीअत बदल कर उनसे आसानी बरतो। और गरीबो पर सख्ती करो। और सिर्फ चन्दा वसूल करके पेट भरने की लालच में पैग़म्बरे इस्लाम का कहना न मनो।
और डर जाओ के इस तरह तुम्हारी चंदाखोरी जाति रहेगी। इस कमीनापन और मुजरिमो जैसी ज़िन्दगी को छोड़ दो, और सबसे न लो मेरी आयातों के बदले दुनयावी थोड़ी कीमत, के सारी दुन्या भी आखेरत के मुक़ाबले में एक बेमिक़दार व बे हक़ीक़त चीज़ है।
और अय क़अब इब्ने अशरफ ! और अय सारे यहूदियो ! तुम न एक दूसरे से डरो और न भूख और मन्सब से डरो। तुम अपना भला चाहो, तो बस मुज ही से हमेशा डरते रहो के फिर हर खौफ से महफूज़ हो जाओगे और मेरा खौफ तुमको मेरे रसूल का नियाज़मन्द बना देगा।
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