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Sunday 27 November 2016

*सिरते मुस्तफा*
*_दसवा बाब_* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_वाक़ीअए इफ्क_* #02
     हज़रते सफ्वान बिन मुअत्तलرضي الله تعالي عنه ने हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها को देखा और चुकी पर्दे की आयत नाज़िल होने से पहले वो बारहा उम्मुल मुअमिनिन को देख चुके थे इस लिये देखते ही पहचान लिया और उन्हें मुर्दा समज कर "اِنَّ لِلّٰهِ وَاِنَّٓ اِلَيْهِ رَاجِعُوْنَ" पढ़ा इस आवाज़ से वो जाग उठी। हज़रते सफ्वानرضي الله تعالي عنه ने फौरन ही उन को अपने ऊंट पर सुवार कर लिया और खुद ऊंट की मुहार थाम कर पैदल चलते हुए अगली मंज़िल पर हुज़ूरﷺ के पास पहुच गए।
     मुनाफ़ीक़ो के सरदार अब्दुल्लाह बिन उबय्य ने इस वाक़ीए को हज़रते बीबी आइशाرضي الله تعالي عنها पर तोहमत लगाने का ज़रिया बना लिया और खूब खूब इस तोहमत का चर्चा किया यहाँ तक की मदीने में इस मुनाफ़िक़ ने इस शर्मनाक तोहमत को इस क़दर उछाला और इतना शोरो गुल मचाया की मदीने में हर तरफ इस इफ्तिरा और तोहमत का चर्चा होने लगा और बाज़ मुसलमान मशलन हज़रते हस्सान बिन षाबित और हज़रते मिस्तह बिन अशाशा और हज़रते हमना बिन्ते हजश ने भी इस तोहमत को फेलाने में कुछ हिस्सा लिया।
     हुज़ूरे अक़दसﷺ को इस शर अंगेज़ तोहमत से बेहद रन्ज व सदमा पहुचा और मुखिलस मुसलमानो को भी इन्तिहाई रंजो गम हुवा।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 313*
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