*नमाज़ की सुन्नते* #05
_*सज्दे की सुन्नते*_
सज्दे में जाने के लिये और सज्दे से उठने के लिये "अल्लाहु अक्बर" कहना
सज्दे में कम अज़ कम 3 बार "सुब्हान रब्बियल आला" कहना
सज्दे में हथेलिया ज़मीन पर रखना, हाथो की उंगलिया मिली हुई किब्ला रुख रखना।
सज्दे में जाए तो ज़मीन पर पहले घुटने फिर हाथ फिर नाक फिर पेशानी रखना।
जब सज्दे से उठे तो इस का उल्टा करना यानी पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ फिर घुटने उठाना।
*मर्द :* सज्दे में सुन्नत ये है कि बाज़ू करवटों से और राने पेट से जुदा हो, कलाइयां ज़मीन पर न बिछाइये हा जब सफ में हो तो बाज़ू करवटों से जुदा न रखिये।
सज्दे में दोनों पाउ की उंगलियो पेट इस तरह ज़मीन पर लगाइये के दसो उनगलिया किब्ला रुख रहे।
*औरत :* सिमट कर सज्दा करे यानि बाज़ू करवटों से पेट रानो राने पिंडलियों से और पिंडलियां ज़मीन से मिला देना।
*✍🏽मोमिन की नमाज़, सफा 176-177*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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सज्दे में जाने के लिये और सज्दे से उठने के लिये "अल्लाहु अक्बर" कहना
सज्दे में कम अज़ कम 3 बार "सुब्हान रब्बियल आला" कहना
सज्दे में हथेलिया ज़मीन पर रखना, हाथो की उंगलिया मिली हुई किब्ला रुख रखना।
सज्दे में जाए तो ज़मीन पर पहले घुटने फिर हाथ फिर नाक फिर पेशानी रखना।
जब सज्दे से उठे तो इस का उल्टा करना यानी पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ फिर घुटने उठाना।
*मर्द :* सज्दे में सुन्नत ये है कि बाज़ू करवटों से और राने पेट से जुदा हो, कलाइयां ज़मीन पर न बिछाइये हा जब सफ में हो तो बाज़ू करवटों से जुदा न रखिये।
सज्दे में दोनों पाउ की उंगलियो पेट इस तरह ज़मीन पर लगाइये के दसो उनगलिया किब्ला रुख रहे।
*औरत :* सिमट कर सज्दा करे यानि बाज़ू करवटों से पेट रानो राने पिंडलियों से और पिंडलियां ज़मीन से मिला देना।
*✍🏽मोमिन की नमाज़, सफा 176-177*
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