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Monday 2 January 2017

*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ*​ #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*जायज़ नाजायज़ की कसौटी क्या है ?*​ #03
     शामी शरीफ जिल्द 1 में है : जुम्हूर (आम) हनफ़ी और शाफ़ई के नजदीक यही मसअला है की अस्ल मुबाह (माफ़) होना है।
     तफ़सीरे ख़ाज़िन, रुहुलबयान, खजाइनुल इरफ़ान वगैरा में भी इसका यही खुलासा है की, हर चीस में अस्ल यही है की वो मुबाह है। मना करने से नाजायज़ होगा।
     बुखारी शरीफ मअ फुतूहलबारी, 19/655 पर है : तमाम चीज़े जायज़ व मुबाह है जब तक की किसी चीज़ के लिये शरीअत से मना होना साबित न हो।
     मालुम हुआ जिस चीज़ को अल्लाह और उसके रसूल ने मना नही फ़रमाया वो जायज़ व मुबाह है। उसे मना करना, या बिदअत कहना बहुत बड़ी ज्यादती है।
     शरीअत में जो बाते मना है, नाजायज़ है, हराम है उनको खोल काट बता दिया गया है। और जिन बातो का मना होना ज़िक्र नही वो इस बात की दलील है की वो बाते जायज़ है।
     हर जायज़ के लिये शरीअत का एलान होना ज़रूरी नही। बिदअत व नाजायज़ और हराम कहने वाले पर लाज़िम है की वो शरीअत से मना होना दिखाये।
     इस तरह का सवाल करना की मिलाद शरीफ कहा जायज़ ? नियाज़ फातिहा कहा जायज़ ? 11वी शरीफ, तीजा, दसवा, बिसवा, चालीसवा कहा जायज़ ? उर्स कहा जायज़ ? वगैरा। उन नादानों को ये सवाल तो उस वक़्त करना चाहिए जब की हम कहे की "जायज़ की लिस्ट तैयार है" हम तो ये कहते है की "नाजायज़ की लिस्ट तैयार हो गई है।
     तो तूने शरीअत की लिस्ट में नाजायज़ होना देखा ? अगर नही देखा तो जान ले और मान ले की, नाजायज़ की लिस्ट में न होना ही जायज़ होने की दलील है।
     अगर तुम जेसे बेवकुफो की खातिर इस्लाम हर जायज़ को बयान करता, तो दुन्या में क़यामत तक जितने काम जायज़ होने वाले है सब का ज़िक्र फ़रमाता। क़यामत तक जितनी चीज़े पैदा हो-हो कर जायज़ होने वाली है उनका नाम दर्ज़ होता तो जानते है क्या होता ?
     ये क़ुरआन पाक 30 पारह में नही होता बल्कि 30 हज़ार पारह में भी पूरा नही होता और क़यामत तक दुन्या में क़ुरआने पाक का एक भी हाफ़िज़ न मिलता।
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 6*
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