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Monday 2 January 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #118
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑤⑨_*
     बेशक वो हमारी उतारी हुई रौशन बातों और हिदायत को छुपाते हैं(10)
बाद इसके कि लोगों के लिये हम उसे किताब में वाज़ेह (स्पष्ट) फ़रमा चुके उनपर अल्लाह की लअनत है और लअनत करने वालों की लअनत (11)
*तफ़सीर*
     (10) यह आयत यहूदियों के उन उलमा के बारे में उतरी जो सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की नात शरीफ़ और आयते रज्म और तौरात के दूसरे आदेश छुपाया करते थे. यहाँ से मालूम हुआ कि दीन की जानकारी को ज़ाहिर करना फ़र्ज़ है.
     (11) लानत करने वालों से फ़रिश्ते और ईमान वाले लोग मुराद हैं. एक क़ौल यह है कि अल्लाह के सारे बन्दे मुराद हैं.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑥ⓞ_*
     मगर वो जो तौबह करें और संवारे और ज़ाहिर करें तो मैं उनकी तौबह क़ुबूल फ़रमाऊंगा और मैं ही हूँ बड़ा तौबह क़ुबूल फ़रमाने वाला मेहरबान.
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