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Monday 30 January 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #139
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ①⑧⑨_*
     तुमसे नए चांद को पूछते हैं (1)
तुम फ़रमादो वो वक़्त की अलामतें (चिन्ह) हैं लोगों और हज के लिये (2)
और यह कुछ भलाई नहीं कि (3)
घरों में पछैत और (पिछली दीवार) तोड़कर आओ हाँ भलाई तो परहेज़गारी है, और घरों में दरवाज़ों से आओ (4)
और अल्लाह से डरते रहो इस उम्मीद पर कि फ़लाह (भलाई) पाओ*

*तफ़सीर*
     (1) यह आयत हज़रत मआज़ बिन जबल और सअलबा बिन ग़िनम अन्सारी के जवाब में उतरी. उन दोनों ने दर्याफ़्त किया, या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैका वसल्लम, चाँद का क्या हाल है, शुरू में बहुत बारीक निकलता है, फिर दिन ब दिन बढ़ता है यहाँ तक कि पूरा रौशन हो जाता है फिर घटने लगता है और यहां तक घटता है कि पहले की तरह बारीक हो जाता है. एक हालत में नहीं रहता. इस सवाल का मक़सद चाँद के घटने बढ़ने की हिकमत जानना था.
     कुछ मुफ़स्सिरीन का ख़याल है कि सवाल का मक़सद चाँद के इख़्तिलाफ़ात का कारण मालूम करना था.
     (2) चाँद के घटने बढ़ने के फ़ायदे बयान फ़रमाए कि वह वक़्त की निशानियाँ हैं और आदमी के हज़ारों दीनी व दुनियावी काम इससे जुड़े हैं. खेती बाड़ी, लेन देन के मामले, रोज़े और ईद का समय, औरतों की इद्दतें, माहवारी के दिन, गर्भ और दूध पिलाने की मुद्दतें और दूध छुड़ाने का वक़्त और हज के औक़ात इससे मालूम होते है क्योंकि पहले जब चाँद बारीक होता है तो देखने वाला जान लेता है कि यह शुरू की तारीख़ें हैं. और जब चाँद पूरा रौशन हो जाता है तो मालूम हो जाता है कि यह महीने की बीच की तारीख़ है, और जब चाँद छुप जाता है तो यह मालूम होता है कि महीना ख़त्म पर है. इसी तरह उनके बीच दिनों में चाँद की हालतें दलालत किया करती हैं. फिर महीनों से साल का हिसाब मालूम होता है. यह वह क़ुदरती जनतरी है जो आसमान के पन्ने पर हमेशा खुली रहती है. और हर मुल्क और हर ज़बान के लोग, पढ़े भी और बे पढ़े भी, सब इससे अपना हिसाब मालूम कर लेते हैं.
     (3) जाहिलियत के दिनों में लोगों की यह आदत थी कि जब वो हज का इहराम बांधते तो किसी मकान में उसके दरवाज़े से दाख़िल न होते. अगर ज़रूरत होती तो पिछैत तोड़ कर आते और इसको नेकी जानते. इस पर यह आयत उतरी.
     (4) चाहे इहराम की हालत हो या ग़ैर इहराम की.
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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