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Thursday 30 March 2017

*फैजाने इसाले षवाब* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     जिनके वालिदैन या उन मेसे कोई एक फौत हो गया हो तो उन को चाहिये की उन की तरफ से गफलत न करे, उन की कब्रो पर भी हाज़री देता रहे और इसाले षवाब भी करता रहे। इस ज़िम्न में सुल्ताने मदीना ﷺ के फरमाने रहमत निशान मुलाहजा फरमाए :

*_मक़बूल हज का षवाब_*
     जो ब निय्यते षवाब अपने वालिदैन दोनों या एक की क़ब्र की ज़ियारत करे, हज्जे मक़बूल के बराबर षवाब पाए और जो बी कसरत इन की क़ब्र की ज़ियारत करता हो, फ़रिश्ते उस की क़ब्र की (यानि जब ये फौत होगा) ज़ियारत को आए।
*✍🏽कन्ज़ुल उम्माल, 16/200, हदिष:45536*

*_10 हज का षवाब_*
     जो अपनी माँ या बाप की तरफ से हज करे उन की (यानि माँ बाप की) तरफ से हज अदा हो जाए उसे (यानि हज करने वाले को) मज़ीद 10 हज का षवाब मिले।
     سبحان الله
जब कभी नफ्ली हज की सआदत हासिल हो तो फौत शुदा माँ या बाप की निय्यत कर ले ता की उन को भी हज का षवाब मिले, आप का भी हज हो जाए बल्कि मज़ीद 10 हज का षवाब हाथ आए। अगर माँ या वालिद में से कोई इस हाल में फौत हो गया की उन पर हज फ़र्ज़ हो चूकने के बा वुजूद न कर पाए थे तो अब औलाद को हज्जे बदल का शरफ हासिल करना चाहिये।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 395*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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