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Saturday 11 March 2017

*मुबारक महीने* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*रबीउल अव्वल (रबिउन्नूर शरीफ)* #03
*_शबे क़द्र से भी अफज़ल रात_*
     हज़रते शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी अलैरहमा फरमाते है : बेशक सरवरे आलम ﷺ की शबे विलादत शबे क़द्र से भी अफज़ल है क्यू की शबे विलादत सरकारे मदीना ﷺ के इस दुन्या में जल्वा गर होने की रात है जब की शबे क़द्र सरकार ﷺ को अता करदा शब् है। और जो रात ज़ुहूरे जाते सरवरे काएनात ﷺ की वजह से मुशर्रफ हो वॉ इस रात से ज़्यादा शर्फ व इज़्ज़त वाली है जो मलाएका के नुज़ूल की बिना पर मुशर्रफ है।

*_जशने विलादत मनाने का षवाब_*
     शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी फरमाते है : हुज़ूर ﷺ की विलादत की रात ख़ुशी मनाने वालो की जज़ा ये है की अल्लाह उन्हें फ्ज़लो करम से जन्नतुन्नइम में दाखिल फ़रमाएगा। मुसलमान हमेशा से महफिले मिलाद मूनअक़ीद करते आए है और विलादत की ख़ुशी में दावते देते, खाने पक्वाते और खूब सदक़ा व खैरात देते आए है। खूब ख़ुशी का इज़हार करते और दिल खोल कर खर्च कर करते है नीज़ आप की विलादते बा सआदत के ज़िक्र का एहतिमाम करते है और अपने मकानों को सजाते है और इन तमाम अफआले हसना की बरकत से उन लोगो पर अल्लाह की रहमतो का नुज़ूल होता है।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 328*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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