*जहद (परहेजगारी)का सवाब* #1
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
हज़रत शैख अब्दुलकादर जीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमया: ज़ाहिदोको दो सवाब मिलते है। पेहला तर्के असबाब के बाइस क्योंके नफ्सकी ख्वाहिशातसे मोहतरिज़ (परहेज़ करनेवाला) होकर सिर्फ हुकमका पाबन्द हो जाता है और जब नफससे उसकी मुखालेफत और दुश्मनी साबित हो जाती है, उसको हकीकत-व-विलायत की मन्ज़िल मिल जाती है और अब्दालों और आरिफों का मकाम हासिल हो जाता है।
जो सिर्फ हुकम दे दिया जाता है के जो कुछ उसकी तकदीर में है, जो सिर्फ उसीके लिये तख़्लीक़ की गई है और खामए कुदरत से उसके लिये तेहरीर हो चुकी है और रोशनाई खुश्क हो चुकी और ऐसा ऐसा पहलेही से था, सिर्फ इसीसे ताल्लुक रखे।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह
*✍🏽फुतूहल ग़ैब* पेज 115
*_____________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*_____________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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हज़रत शैख अब्दुलकादर जीलानी رضي الله تعالي عنه ने फरमया: ज़ाहिदोको दो सवाब मिलते है। पेहला तर्के असबाब के बाइस क्योंके नफ्सकी ख्वाहिशातसे मोहतरिज़ (परहेज़ करनेवाला) होकर सिर्फ हुकमका पाबन्द हो जाता है और जब नफससे उसकी मुखालेफत और दुश्मनी साबित हो जाती है, उसको हकीकत-व-विलायत की मन्ज़िल मिल जाती है और अब्दालों और आरिफों का मकाम हासिल हो जाता है।
जो सिर्फ हुकम दे दिया जाता है के जो कुछ उसकी तकदीर में है, जो सिर्फ उसीके लिये तख़्लीक़ की गई है और खामए कुदरत से उसके लिये तेहरीर हो चुकी है और रोशनाई खुश्क हो चुकी और ऐसा ऐसा पहलेही से था, सिर्फ इसीसे ताल्लुक रखे।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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