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Sunday 23 April 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #187
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②④⑨_*
     फिर जब तालूत लश्करों को लेकर शहर से जुदा हुआ (1) बोला बेशक अल्लाह तुम्हें एक नहर से आज़माने वाला है तो जो उसका पानी पिये वह मेरा नहीं और जो न पिये वह मेरा है मगर वह जो एक चुल्लू अपने हाथ से ले ले (2) सब ने उससे पिया मगर थोड़ों ने (3) फिर जब तालूत और उसके साथ के मुसलमान नहर के पार गए बोले हम में आज ताक़त नहीं जालूत और उसके लश्करों को बोले वो जिन्हें अल्लाह से मिलने का यक़ीन था कि अकसर कम जमाअत ग़ालिब आई है ज़्यादा गिरोह पर अल्लाह के हुक्म से और अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है  (4).

*तफ़सीर*
    (1) यानी बैतुल मक़दिस से दुश्मन की तरफ़ रवाना हुआ. वह वक़्त निहायत सख़्त गर्मी का था. लश्करियों ने तालूत से इसकी शिकायत की और पानी की मांग की.
     (2) यह इम्तिहान मुक़र्रर फ़रमाया गया था कि सख़्त प्यास के वक़्त जो फ़रमाँबरदारी पर क़ायम रहा वह आगे भी क़ायम रहेगा और सख़्तियों का मुक़ाबला कर सकेगा और जो इस वक़्त अपनी इच्छा के दबाव में आए और नाफ़रमानी करे वह आगे की सख़्तियों को क्या बर्दाश्त करेगा.
    (3) जिनकी तादाद तीन सौ तेरह थी, उन्होंने सब्र किया और एक चूल्लू उनके और उनके जानवरों के लिये काफ़ी हो गया और उनके दिल और ईमान को क़ुव्वत हुई और नहर से सलामत गुज़र गए और जिन्होंने ख़ूब पिया था उनके होंट काले हो गए, प्यास और बढ़ गई और हिम्मत टूट गई.
     (4) उनकी मदद फ़रमाता है और उसी की मदद काम आती है.
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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