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Friday 30 June 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #10
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_रिश्तेदारो के साथ सीलए रहमी_*
     बन्दों के हुक़ूक़ में यु तो तमाम ही लोगो के हुक़ूक़ अहमिय्यत के हामिल है और सब की अदाएगी भी ज़रूरी है, लेकिन इन में सब से अहम रिश्तेदारो के हुक़ूक़ है, जब एक आम मुसलमान के साथ हुस्ने सुलूक करने और उस के हुक़ूक़ अदा करने की तरगिब् है, तो वो अफ़राद जिन के साथ खून के रिश्ते हो, उन से तो हुस्ने सुलूक करने और उन के हुक़ूक़ अदा करने की अहमिय्यत और ज़्यादा बढ़ जाती है। यही वजह है की अपने दिने इस्लाम ने हमे सीलए रहमी की तरगिब् दिलाई है। सीलए रहमी का मतलब ये है की अपने अज़ीज़ों और रिश्तेदारो से अच्छा सुलूक करना।

     हदिष में है की बेशक अल्लाह ने एक क़ौम की वजह से दुन्या को आबाद रखा है और उन की वजह से माल में इज़ाफ़ा करता है और जब से उन्हें पैदा फ़रमाया है, उन की तरफ ना पसन्दीदा नज़र से नही देखा। अर्ज़ की गई या रसुलूल्लाह صلى الله عليه وسلم ! वो कैसे ? इर्शाद फ़रमाया उन के अपने रिश्तेदारो के साथ तअल्लुक़ जोड़ने की वजह से।
*✍🏼المعجم الكبير، ١٢/٦٧، ١٢٥٥٦*

     सीलए रहमी के सब से ज़्यादा हक़दार वालिदैन और बहन-भाई होते है, इन के बाद हस्बे मरातिब दीगर रिश्तेदार सीलए रहमी के मुस्तहिक़ है। रिश्तेदारो के साथ सीलए रहमी करना, उन का हक़ है, क़ुरआन और अहादीस में इस की बहुत तरगिब् दिलाई गई है और "सारी उम्मत का इस पर इत्तिफ़ाक़ है की सीलए रहमी वाजिब है और क़तए रहम हराम है।"
*✍🏼बहारे शरीअत, 3/558*
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 17*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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