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Friday 2 June 2017

*नमाज़ पर नूर या तारीकी के अस्बाब*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रते उबादा बिन सामित رضي الله تعالي عنه से रिवायत हैं की हुज़ूर ﷺ का फरमाने आलिशान है, जो शख्स अच्छी तरह वुज़ू करे, फिर नमाज़ के लिये खड़ा हो, इसके रूकू, सुजूद और किरआत को मुकम्मल करे तो नमाज़ कहती है, अल्लाह तआला तेरी हिफाज़त करे जिस तरह तूने मेरी हिफाज़त की। फिर उस नमाज़ को आसमान की तरफ ले जाया जाता है और उस के लिये चमक और नूर होता है।
     पस उसके लिये आस्मां के दरवाज़े खोले जाते है हत्ता की उसे अल्लाह तआला की बारगाह में पेश किया जाता है और वो नमाज़ उस नमाज़ी की शफ़ाअत करती है,

     और अगर वो इस का रुकूअ, सुजूद और किरआत मुकम्मल न करे तो नमाज़ कहती है, अल्लाह तआला तुझे छोड़ दे जजस तरह तूने मुझे जाए किया। फिर उस नमाज़ को इस तरह आसमान की तरफ ले जाया जाता है की उस पर तारीकी छाई होती है और उस पर आसमान के दरवाज़े बंद कर दिये जाते है फिर उसको पुराने कपड़े की तरह लपेट कर उस नमाज़ी के मुह पर मारा जाता है।
*✍🏼कन्जुल अमाल, जी.7 स.129, हदिष:19049*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 145-146*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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