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Monday 3 July 2017

*नमाज़ के वाजिबात* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ क़ादए ऊला वाजिब है अगर्चे नमाज़े नफ्ल हो।

★ (दर अस्ल दो नफ्ल का हर क़ादह "क़ादए आखिरह" है और फ़र्ज़ है, अगर क़ादह न किया और भूल कर खड़ा हो गया तो जब तक उस रकअत का सज्दा न कर ले लौट आए और सज्दए सहव करे)
*✍🏼बहारे शरीअत, ही.4 स.52*

★ अगर नफ्ल की तीसरी रकअत का सज्दा कर लिया तो चार पूरी कर के सज्दए सहव करे।

★ सज्दए सहव इस लिये वाजिब हुवा कि अगर्चे नफ्ल में हर दो रकअत के बाद क़ादह फ़र्ज़ है मगर तीसरी या पांचवी रकअत का सज्दा करने के बाद क़ादए ऊला फ़र्ज़ के बजाए वाजिब हो गया।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 171-172*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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