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Sunday 23 July 2017

*नमाज़ तोड़ने वाली बाते* #04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_दौराने नमाज़ देख कर पढ़ना_*

★ मुसहफ़ शरीफ से या किसी कागज़ से या मेहराब वग़ैरा में लिखा हुवा देख कर कुरआन शरीफ पढ़ना (हा अगर याद पर पढ़ रहे है और मुसहफ़ शरीफ या मेहराब वगैरा पर सिर्फ नज़र है तो हर्ज नही, अगर किसी कागज़ वगैरा पर आयात लिखी है उसे देखा और समझ मगर पढ़ा नहीं इस में भी कोई मुज़ायका नहीं.
*✍🏼रद्दलमोहतार, जी,2 स.464*

★ इस्लामी किताब या इस्लामी मज़्मून दौराने नमाज़ जानबूझ कर देखना और इरादतन समझना मकरूह है.
*✍🏼आलमगिरी, जी.1 स.101*

★ दुनयावी मज़्मून हो तो ज़्यादा कराहिय्यत है, लिहाज़ा नमाज़ में अपने क़रीब किताबे या तहरीर वाले पैकेट और शॉपिंग बेग, मोबाइल फोन या घड़ी वगैरा इस तरह रखिये कि उन की लिखाई पर नज़र न पड़े या इन पर रुमाल वगैरा उढ़ा दीजिये, निज दौराने नमाज़ सुतून वगैरा पर लगे हुए स्टिकर्ज़, इश्तिहार और फ्रेमो वगैरा पर नज़र डालने से भी बचिये.

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स. 186*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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