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Wednesday 19 July 2017

*गर्द आलूद पेशानी की फ़ज़ीलत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रते वासिला बिन अस्क़अ رضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ का फरमाने पुर सुरूर है : तुम में से कोई शख्स जब तक नमाज़ से फारिग न हो जाए अपनी पेशानी की मिटटी को साफ़ न करे क्यू कि कब तक उस की पेशानी पर नमाज़ के सजदे का निशान रहता है फ़रिश्ते उस के लिये दुआए मगफिरत करते रहते है.

     मीठे और प्यारे इस्लिमी भाइयो ! दौरान नमाज़ पेशानी से मिटटी छुड़ाना बेहतर नहीं और मआज़अल्लाह तकब्बुर के तौर पर छुड़ाना गुनाह है. और अगर न छुड़ाने से तकलीफ होती होती हो या ख़याल बटता हो तो छुड़ाने में हर्ज नही. अगर किसी को रियाकारी का खौफ हो तो उसे चाहिये कि नमाज़ के बाद पशनो से मिटटी साफ़ कर ले.
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स. 183-184*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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