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Saturday 12 August 2017

*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #12
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     दूसरा कपड़ा होने के बा वुजूद सिर्फ पाजामा या तहबन्द में नमाज़  पढ़ना।

     किसी आने वाले शनासा की खातिर इमाम का नमाज़ को तूल देना (आलमगिरी, 1/107) अगर उस की नमाज़ पर इआनत (मदद) के लिये एक दो तस्बीह की क़दर तूल दिया तो हरज नहीं।

     ऐसी ज़मीन जिस पर ना जाइज़ क़ब्ज़ा किया हो या पराया खेत जिस में ज़राअत मौजूद है या जूते हुए खेत में या क़ब्र के सामने जब कि क़ब्र और नमाज़ी के बिच में कोई चीज़ हाइल न हो नमाज़ पढ़ना।
*✍🏼आलमगिरी, 1/107*

     कुफ़्फ़ार के इबादत खाने में नमाज़ पढ़ना बल्कि इन में जाना भी मम्नुअ है।
*✍🏼रद्दलमोहतार, 2/53*

     कुरते वग़ैरा के बटन खुले होना जिस से सीना खुला रहे मकरुहे तहरीमि है, हा अगर निचे कोई और कपड़ा है जिस से सीना नहीं खुला तो मकरुहे तन्ज़ीहि है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, 196*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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