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Tuesday 29 August 2017

*कबीरा गुनाह 4* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नमाज़ तर्क व क़ज़ा करने की मज़म्मत में रिवायत_*
     रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया हमारे और कुफ्फार के दरमियान फ़र्क़ नमाज़ है तो जिस ने नमाज़ तर्क कर दी, बिलाशुबा उस ने कुफ़्र किया।
*✍🏼ابن ماجة*

     जिस की नमाज़े असर फौत हो गई, उस के अमल ज़ब्त हो गए।

     बन्दे और शिर्क के दरमियान (फर्क) नमाज़ छोड़ देना है।

     जिस ने जान बुझ कर नमाज़ को तर्क किया तो बिलाशुबा अल्लाह का ज़िम्मा उस से बरी है।

     हज़रते उमर फ़ारूक़ رضي الله عنه ने इर्शाद फ़रमाया जिस ने नमाज़ ज़ाएअ की उस का इस्लाम में कोई हिस्सा नहीं।

     हज़रत अबू हुरैरा رضي الله عنه से मरवी है कि सहाबा आमाल में से नमाज़ छोड़ने के इलावा किसी अमल को कुफ़्र ख़याल नहीं करते थे।

आमाल में सबसे पहला सुवाल أن شاء الله अगली पोस्ट में..
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 35*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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