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Tuesday 8 August 2017

*धोका देने का नुक़्सान*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो धोका देही करे वो हम में से नहीं है।
*✍🏼جامع الترمذي*

     इस हदिष से मालुम हुआ की तिजारती चीज़ में ऐब पैदा करना भी ज़ुर्म है, और कुदरती पैदा शुदा ऐब को छुपाना भी ज़ुर्म।देखो हमारे आक़ा صلى الله عليه وسلم ने बारिश से भीगे गल्ले को छुपाना मिलावट ही में दाखिल फ़रमाया।
     हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم गल्ले के एक ढेर पर गुज़रे तो अपना हाथ शरीफ उस में डाल दिया। आप की उंगलियों ने उस में तरी पाई तो फ़रमाया : ऐ गल्ले वाले ये क्या ? अर्ज़ की या रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ! इस पर बारिश पड़ गई। फ़रमाया : तो गीले गल्ले को तूने ढेर के ऊपर क्यू न डाला ताकि इसे लोग देख लेते, जो धोका दे वो हम में से नही।
*✍🏼صحيح مسلم*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 36*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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