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Thursday 31 August 2017

*फितना बाज़ की मज़म्मत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : फितना सो रहा है, इस के जगाने वाले पर अल्लाह की लानत।
*الجامع الصغير*

     किसी दिनी फायदे के बगैर लोगों को इज़्तिराब, इख़्तिलाफ़, मुसीबत और आज़माइश में मुब्तला कर के निज़ामे ज़िन्दगी को बिगाड़ देना "फितना" कहलाता है।
*الحديقة الندية*
     लिहाज़ा हर वो चीज़ जो मुसलमानों के दरमिया फ़ितने, शर, अदावत और बुग्ज़ का बाइस बने, हमें उस से बचना चाहिए। फ़ितने को क़ुरआन में क़त्ल से ज़्यादा सख्त कहा गया है, अगर इसी बात और गौर कर लिया जाए तो फ़ितने से बचने के लिये काफी है।
_और इन का फसाद तो क़त्ल से भी सख्त है।_
*البقرة ١٩١*

     इमाम बैज़ावी عليه رحما फ़ितने के क़त्ल से ज़्यादा सख्त व बुरा होने की वजह ये बयान करते है कि चूँकि क़त्ल के मुक़ाबले में फ़ितने की तकलीफ ज़्यादा सख्त और इस का रन्जो अलम ज़्यादा देर तक क़ाइम रहता है इसी लिये इस को क़त्ल से ज़्यादा सख्त फ़रमाया गया।
*✍🏼الحديقة الندية*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 77*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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