*कैदखाना*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : दुन्या मोमिन के लिये कैदखाना है और काफ़िर के लिये जन्नत।
*✍🏼صحيح مسلم*
यानी मोमिन दुन्या में कितना ही आराम में हो, मगर उस के लिये आख़िरत की नेअमतों के मुक़ाबले में दुन्या जेलखाना है, जिस में वो दिल नहीं लगता। जेल अगरचे A क्लास हो, फिर भी जेल है। और काफ़िर ख्वाह कितनी ही तकलीफ में हो, मगर आख़िरत के अज़ाब के मुक़ाबिल उस के लिये दुन्या बाग़ और जन्नत है। वो यहाँ दिल लगा कर रहता है। लिहाज़ा हदिष पर ये ऐतराज़ नहीं की बाज़ मोमिन दुन्या में आराम से रहते है, और बाज़ काफ़िर तकलीफ में।
*✍🏼मीरअतुल मनाजिह्, 7/4*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 50*
*___________________________________*
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : दुन्या मोमिन के लिये कैदखाना है और काफ़िर के लिये जन्नत।
*✍🏼صحيح مسلم*
यानी मोमिन दुन्या में कितना ही आराम में हो, मगर उस के लिये आख़िरत की नेअमतों के मुक़ाबले में दुन्या जेलखाना है, जिस में वो दिल नहीं लगता। जेल अगरचे A क्लास हो, फिर भी जेल है। और काफ़िर ख्वाह कितनी ही तकलीफ में हो, मगर आख़िरत के अज़ाब के मुक़ाबिल उस के लिये दुन्या बाग़ और जन्नत है। वो यहाँ दिल लगा कर रहता है। लिहाज़ा हदिष पर ये ऐतराज़ नहीं की बाज़ मोमिन दुन्या में आराम से रहते है, और बाज़ काफ़िर तकलीफ में।
*✍🏼मीरअतुल मनाजिह्, 7/4*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 50*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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