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Friday 1 September 2017

*कुफ़्र पर खातिमे का खौफ*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     इफ्तार पार्टी, दावत, नियाज़ और नात ख्वानी वग़ैरा की वजह से फ़र्ज़ नमाज़ों की मस्जिद की जमाअते ऊला तर्क करने की हरगिज़ इजाज़त नहीं, जो लोग बिल उज़्रे शरई बा वुजूद कुदरत फ़र्ज़ नमाज़ मस्जिद में जमाअते ऊला के साथ अदा नहीं करते उनको डर जाना चाहिये कि

     नबी ﷺ का फरमान है : जिसको ये पसन्द हो की कल अल्लाह तआला से मुसलमान हो कर मिले तो वो इन पांच नमाज़ों की जमाअत के साथ वहां पाबन्दी करे जहा अज़ान दी जाती है क्यूकी अल्लाह ने तुम्हारे नबी के लिये सुनने हुदा मशरू की और ये नमाज़े भी सुनने हुदा से है और अगर तुम अपने नबी की सुन्नत छोड़ दोगे तो गुमराह हो जाओगे।
*✍🏼मुस्लिम शरीफ 1/232*

     इस हदिष से इशारा मिलता है कि जमाअते ऊला की पाबन्दी करने वाले का खातिमा बिलखैर होगा और जो बिला शरई मजबूरी के मस्जिद की जमाअते ऊला तर्क करता है उसके लिये मआज़अल्लाह कुफ़्र पर खातिमे का खौफ है।

*या रब्बे मुस्तफा ! हमें पाचो नमाज़े मस्जिद की जमाअते ऊला में पहली सफ में तकबीरे ऊला के साथ अदा करने की हमेशा सआदत नसीब फ़रमा।*
_*आमीन बिजाहिन्नबीय्यिल अमिन*_

 *✍🏼नमाज़ के अहकाम स.204*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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