*83 आसान नेकियां* #65
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*बैतुल्लाह में दाखिल होना*
अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_बेशक सब में पहला घर जो लोगो की इबादत को मुक़र्रर हुवा वो है जो मक्का में है बरकत वाला और सारे जहान का राहनुमा इस में खुली निशानियां है इब्राहिम के खड़े होने की जगह और जो इस में आए अमान में हो।_
*✍🏼ال عمران ٩٢، ٩٧*
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो बैतुल्लाह में दाखिल हुवा वो भलाई में दाखिल हो गया और बुराई से पाक हो कर मगफिरत याफ्ता हो कर निकल।
*✍🏼صحيح ابن خزيمه*
*_हतीम में दाखिल होना काबा शरीफ में दाखिल होना है_*
काबए मुअज़्ज़मा की शिमाली दिवार के पास निस्फ़ दाईरे की शक्ल में फ़सील (यानी बाउन्ड्री) के अन्दर का हिस्सा "हतीम" कहलाता है। ज़मानए जाहिलिय्यत में जब कुरैश ने काबा अज़ सरे नौ तामीर किया, खर्च की कमी के बाईष इतनी ज़मीन काबए मुअज़्ज़मा से बाहर छोड़ दी। इस के गिर्दा गिर्द एक कौसी अंदाज़ की छोटी सी दीवार खीच दी इसी को हतीम कहते है। ये मुसलमानों की खुश नसीबी है कि इस में दाखिल होना काबा ही में दाखिल होना है जो بِحٙمْدِاللّٰهِ تٙعٙالٰى बे तकल्लुफ नसीब हो सकता है।
*✍🏼बहारे शरीअत, जिल्द अव्वल, 1094*
लेकिन ख्याल रहे कि बैतुल्लाह की इमारत में दाखिल होना नसीब हो या हतीम में दोनों सूरतों में दूसरों को धक्के देने से बचिये और इस्लामी भाई अपने जिस्म को इस्लामी बहनों से मस होने (यानी छु जाने) से बचाइये जब कि इस्लामी बहनें भी येही एहतियात करें।
*✍🏼आसान नेकियां* 155
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_बेशक सब में पहला घर जो लोगो की इबादत को मुक़र्रर हुवा वो है जो मक्का में है बरकत वाला और सारे जहान का राहनुमा इस में खुली निशानियां है इब्राहिम के खड़े होने की जगह और जो इस में आए अमान में हो।_
*✍🏼ال عمران ٩٢، ٩٧*
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो बैतुल्लाह में दाखिल हुवा वो भलाई में दाखिल हो गया और बुराई से पाक हो कर मगफिरत याफ्ता हो कर निकल।
*✍🏼صحيح ابن خزيمه*
*_हतीम में दाखिल होना काबा शरीफ में दाखिल होना है_*
काबए मुअज़्ज़मा की शिमाली दिवार के पास निस्फ़ दाईरे की शक्ल में फ़सील (यानी बाउन्ड्री) के अन्दर का हिस्सा "हतीम" कहलाता है। ज़मानए जाहिलिय्यत में जब कुरैश ने काबा अज़ सरे नौ तामीर किया, खर्च की कमी के बाईष इतनी ज़मीन काबए मुअज़्ज़मा से बाहर छोड़ दी। इस के गिर्दा गिर्द एक कौसी अंदाज़ की छोटी सी दीवार खीच दी इसी को हतीम कहते है। ये मुसलमानों की खुश नसीबी है कि इस में दाखिल होना काबा ही में दाखिल होना है जो بِحٙمْدِاللّٰهِ تٙعٙالٰى बे तकल्लुफ नसीब हो सकता है।
*✍🏼बहारे शरीअत, जिल्द अव्वल, 1094*
लेकिन ख्याल रहे कि बैतुल्लाह की इमारत में दाखिल होना नसीब हो या हतीम में दोनों सूरतों में दूसरों को धक्के देने से बचिये और इस्लामी भाई अपने जिस्म को इस्लामी बहनों से मस होने (यानी छु जाने) से बचाइये जब कि इस्लामी बहनें भी येही एहतियात करें।
*✍🏼आसान नेकियां* 155
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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