بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
सहाबए किराम रदिअल्लाहो तआला अन्हुम रसूलुल्लाह ﷺ की खिदमत को अपना सब से बड़ा शरफ़ ख़याल करते थे, इस लिये मुतअद्दद बुज़ुर्गो ने अपने आप को आप ﷺ की ख़िदमत के लिये वक्फ़ कर दिया था।
हज़रते बिलाल रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने इब्तिदाए बैअत ही से आप ﷺ की ख़ानादारी के तमाम कारोबार का इन्तिज़ाम अपने ज़िम्मे ले लिया था, और इस के लिये तरह तरह की अज़ीय्यतें और तकलीफें बर्दाश्त करते थे, लेकिन आप ﷺ के शरफे ख़िदमत का छोड़ना कभी गवारा नहीं करते थे।
हुज़ूर ﷺ का मा'मूल था कि जब कोई ग़रीब मुसलमान ख़िदमते मुबारक़ में हाज़िर होता और उस के बदन पर कपड़े न होते तो हज़रते बिलाल रदिअल्लाहो तआला अन्हो को हुक्म देते और वो क़र्ज़ ले कर उस की ख़ुराक व लिबास का इन्तिज़ाम करते।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 187
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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