بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*भाइयों की माज़रत और युसूफ عليه السلام का माफ करना*
जु हीं युसूफ عليه السلام ने अपने भाइयों के सामने ज़िक्र किया कि में युसूफ हु और अल्लाह ने हम पर एहसान किया है और जो सख्श गुनाहों से बचता है और लोगों की अज़ीयत पर सब्र करता है अल्लाह उसे ज़ाया नहीं करता तो ये सुनकर आपके भाइयों ने आपके कमालात का एतराफ़ करते हुए कहा: अल्लाह ने आपको हम पर इल्म, हौसलामंदी, अक़्ल, कमाल, फ़ज़्ल व हुस्न ओर बादशाहत में फ़ज़ीलत अता की। और भाइयों ने अपनी गलती का एतराफ़ करते हुए कहा बेशक हम खतावार थे।
भाइयों की माज़रत पर युसूफ عليه السلام ने फ़रमाया: आज तुम पर कुछ मलामत नहीं यानी यह एलाने में आजसे हमेशा के लिये कर रहा हूँ कभी भी तुम्हें माज़ी के वाक़यात पर आर नहीं दिलाई जायेगी। अल्लाह तुम्हे माफ करे और वो सब महेरबानों से बढ़कर महेरबान है।
आपके भाई जब बहुत ज़्यादा नादिम हो रहे थे और अर्ज़ कर रहे थे कि तुम तो हमें सुबह व शाम अपने दस्तरख्वान पर बिठाकर कहना खिलाते रहे लेकिन हमने आपसे जो कार गुज़रिया की हमे तो उनसे बड़ी नदामत हो रही है। तो आपने फय्याज़ी का मुज़ाहिरा करते हुए कहा मेरे भाइयो! तुम नादिम क्यो होते हो? मुझे तो तुम्हारे आने से बहुत बड़ी खुशी हुई है। क्योंकि में मिस्र के हुक्मरान भी बन गया हूँ और मिस्री लोग मेरे गुलाम बनकर आज़ाद हुए। लेकिन फिरभी उनके ज़हनों में यह बात जरूर होगी कि 20 दिरहम का खरीदा हुआ गुलाम मिस्र के हाकिम बन गया है। लेकिन आज उनके सामने ये वाज़ेह हो चुका है कि तुम मेरे भाई हो, में इब्राहिम عليه السلام का परपोता हु, कोई गुलाम नहीं। तकदीर ओर रब की तरफ से आज़माइश की वजह से गुलामीयत से मुत्तसिफ हुआ, आज तुम्हारे आने से ओर मेरे ज़ाहिर करने से सब लोगों की नज़रों में मुझे अज़मत मिली है और मेरी शराफत और खानदान नबुव्वत का एक फर्द होने की हैसियत से मेरा बोल बाला हुआ।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 164
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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