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Saturday 28 July 2018

*जां निषारी (ﷺ)*  #2


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

      इन ख़तरात की वजह से अगर आप ﷺ थोड़ी देर के लिए भी आंख से ओझल हो जाते तो जां निषारों के दिल धड़कने लगते थे।

      आप ﷺ एक दिन सहाबए किराम रदिअल्लाहो तआला अन्हुम के हल्के में रोनक अफ़रोज़ थे, किसी ज़रूरत से उठे तो पलटने में देर हो गई। सहाबए किराम रदिअल्लाहो तआला अन्हो घबरा गए कि ख़ुदा न ख़्वास्ता दुश्मनों की तरफ से कोई चश्मे ज़ख़्म तो नहीं पहुंचा । 

     हज़रते अबू हुरैरा रदिअल्लाहो तआला अन्हो इसी परेशानी की हालत में घबरा कर आप ﷺ की जुस्तजू में अन्सार के एक  बाग में पहुंचे। दरवाज़ा ढूंडा, तो नहीं मिला,  दीवार में पानी की एक नाली नज़र आई उस मे से घुस कर आप ﷺ तक पहुंचे और सहाबा रदिअल्लाहो तआला अन्हुम की परेशानियों की दास्तान सुनाई।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 187

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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