بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
*सवाल*
अगर किसी ने معاذ الله कई कुफ़्रिय्यात बीके हों और याद न हो कि क्या क्या बका है तो वो तौबा किस तरह करें?
*जवाब*
अगर किसी ने معاذ الله कई कुफ़्रिय्यात बीके हों और याद न हो कि क्या क्या बका है तो यूँ कहे *"या अल्लाह! मुझ से जो कुफ़्रिय्यात सादिर हुए हैं में उन सब से तौबा करता हूँ, फिर कलिमा पढ़ ले।"* अगर कलिमे का तर्जमा मालूम है तो ज़बान से तर्जमा दोहराने की हाजत नहीं।
अगर ये मालूम ही नहीं कि कुफ्र बका भी है या नहीं तब भी अगर एहतियातन तौबा करना चाहे तो इस तरह कहे: *"या अल्लाह! अगर मुझ से कोई कुफ्र हो गया हो तो में उस से तौबा करता हूँ, ये कहने के बाद कलिमा पढ़ ले।"
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो! बेहतर ये है कि रोज़ाना रात सोने से क़ब्ल दो रकअत सलतुतौबा अदा करके साबिक़ा होने वाले तमाम गुनाहों से तौबा कर लेनी चाहिये।
*✍तजदिदे ईमान व निकाह का आसान तरीक़ा* 5
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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