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Sunday 5 August 2018

क़ुरबानी की फ़ज़ीलत व मसाइल* #05


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*क़ुरबानी करने वाले बाल, नाख़ून न काटे*

     हज़रते मुफ़्ती अहमदयार खान अलैरहमा एक हदिष, "जब अशरा आ जाए और तुम में से कोई क़ुरबानी करना चाहेतो अपने बाल व खाल को बिलकुल हाथ न लगाए", के तहत फरमाते है : यानी अमीर वुजुबनया फ़क़ीर नफ़्लन क़ुरबानी का इरादा करे वो जुल हिज्जतील हराम का चाँद देखने से क़ुरबानीकरने तक नाख़ून, बाल और (अपने बदन की) मुर्दार खाल वगैरा न काटे न कटवाए ताकि हाजियोसे क़दर (यानी थोड़ी) मुशा-बहत हो जाए की वो लोग ऐहराम में हजामत नही करा सकते और ताकिक़ुरबानी हर बाल, नाख़ून के लिये जहन्नम से आज़ादी का फिदया बन जाए।

     ये हुक्म वाजिब नही,मुस्तहब है और हत्तल इम्कान मुस्तहब पर भी अमल करना चाहिए अलबत्ता किसी ने बाल या नाख़ूनकाट लिये तो गुनाह भी नही और ऐसा करने से क़ुरबानी में खलल भी नही आता, क़ुरबानी दुरुस्तहो जाती है। लिहाज़ा क़ुरबानी वाले का हजामत न करना बेहतर है लाज़िम नही।

     इस से मालुम हुवा कीअच्छो की मुशा-बहत (यानी नकल) भी अच्छी है।


*_गरीबो की क़ुरबानी_*

     मुफ़्ती साहब मज़ीद फरमातेहै : बल्कि जो क़ुरबानी न कर सके वो भी इस अशरह में हजामत न कराए, बक़रह ईद के दिन बादे  नमाज़े ईद हजामत कराए तो इन्शा अल्लाह क़ुरबानी काषवाब पाएगा।

*✍🏽मीरआतुल मनाजिह 2/370*

*✍🏽अब्लाक़ घोडा 4*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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