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Sunday 5 August 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-4, आयत, ③①*



بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     और अल्लाह तआला ने आदम को सारी (चीज़ों के) नाम सिखाए(4) फिर सब (चीज़ों) को फ़रिश्तों पर पेश करके फ़रमाया सच्चे हो तो उनके नाम तो बताओ (5)


*तफ़सीर*

     (4) अल्लाह तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पर तमाम चीज़ें और सारे नाम पेश फ़रमाकर उनके नाम, विशेषताएं, उपयोग, गुण इत्यादि सारी बातों की जानकारी उनके दिल में उतार दी.

     (5) यानी अगर तुम अपने इस ख़याल में सच्चे हो कि मैं कोई मख़लूक़ (प्राणी जीव) तुमसे ज़्यादा जगत में पैदा न करूंगा और ख़िलाफ़त के तुम्हीं हक़दार हो तो इन चीज़ों के नाम बताओ क्योंकि ख़लीफ़ा का काम तसर्रूफ़ (इख़्तियार) और तदबीर, इन्साफ और अदल है और यह बग़ैर इसके सम्भव नहीं कि ख़लीफ़ा को उन तमाम चीज़ों की जानकारी हो जिनपर उसको पूरा अधिकार दिया गया और जिनका उसको फ़ैसला करना है. अल्लाह तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के फ़रिश्तों पर अफ़ज़ल (उच्चतर) होने का कारण ज़ाहिरी इल्म फ़रमाया. इससे साबित हुआ कि नामों का इल्म अकेलेपन और तनहाइयों की इबादत से बेहतर है. इस आयत से यह भी साबित हुआ कि नबी फ़रिश्तों से ऊंचे हैं.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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