بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
सज्दे से इस तरह उठिये की पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ उठे।
*मर्द :*
फिर सीधा कदम खड़ा करके उसकी उंगलिया किब्ला रुख कर दीजिये और उल्टा क़दम बिछा कर उस पर खूब सीधे बेथ जाइये और हथेलिया बिछा कर रानो पर घुटनो के पास रखिये की दोनों हाथो की उंगलिया किब्ले की जानिब और उंगलियो के सिरे घुटनो के पास हो।
*औरत :*
दोनों पाउ सीधी तरफ निकाल दीजिये और उलटी सुरीन पर बैठिये और सीधा हाथ सीधी रान के बिच में और उल्टा हाथ उलटी रान रान के बिच में रखिये।
दोनों सजदों के दरमियान बैठने को जल्सा कहते है।
फिर कम अज़ कम एक बार सुब्हान अल्लाह कहने की मिक़दार ठहरिये
यहा "अल्लाहुमग-फिरलि" (यानि ए अल्लाह मेरी मगफिरत फरमा) पढ़ना मुस्तहब है
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पहले सज्दे की तरह दूसरा सज्दा कीजिये।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 151*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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