بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
क़ुरआन में जहाँ नमाज़ की फ़ज़ीलते बयान हुई है वहीँ नमाज़ छोड़ने पर सख्त वईदे भी सुनाई गई है। चुनान्चे अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : जब जन्नती झन्नमियों से पूछेंगे कि तुम्हें कौन सा काम जहन्नम ले गया ? इस पर वो कहेंगे :
"हम नमाज़ नहीं पढ़ते थे।"
*✍🏼सूरए मुदस्सिर 43, पारह 29*
इस आयत से हर बेनमाज़ी को सबक लेना चाहिये कि कहीं वो भी नमाज़ न पढ़ने की वजह से जहन्नम का हक़दार तो नहीं बन रहा है ?
हज़रते अय्यूब अन्सारी رضى الله عنه फ़रमाते है : नमाज़ छोड़ना कुफ़्र है।
*✍🏼मकाशफतुल कुलूब*
इस हदिष का अगरचे उलमा व मुहद्दिसिन ने ये मतलब बयान फ़रमाया है कि कुफ़्र से मुराद कुफ़्र के क़रीब पहुच जाना है। इस मक़ाम पर खाकसार अर्ज़ करता है कि ये क्या कम गुनाह है कि मोमिन होने के बावुजूद आदमी ऐसा काम करे जिसकी वजह से कुफ़्र के क़रीब पहुँच जाए। (अल्लाह तआला की पनाह!)
*✍🏼नमाज़ की अहमिय्यत* 8
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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